1971 का साल। Bangladesh Liberation War अपने चरम पर था। भारतीय सेना ने पूर्वी Pakistan (आज का बांग्लादेश) में दुश्मन की position को कमजोर करने के लिए कई योजनाएं बनाई थीं। उन्हीं में से एक थी Battle of Gazipur, जो 4 और 5 दिसंबर 1971 को Sylhet District के Gazipur Tea Estate में लड़ी गई।
ये कहानी है 4/5 Gorkha Rifles के वीर जवानों की, जिन्होंने Pakistan Army की 22 Baluch Regiment के खिलाफ असाधारण साहस दिखाया।
4 दिसंबर की शाम थी। ठंडी हवा Tea Gardens के बीच बह रही थी, और हर तरफ सन्नाटा पसरा था। लेकिन Kadamtal में, Indian Army की 5 Gorkha Rifles (Frontier Force) के जवान पूरी तरह से तैयार थे। यह जगह Kulaura/Moulvibazar Sector के पास, Border पर थी।
Major Shyam Kelkar, जो Bravo और Charlie Companies की कमान संभाल रहे थे, अपने सैनिकों को समझा रहे थे, "यह लड़ाई आसान नहीं होगी। दुश्मन Gazipur में अच्छी तरह से तैयार है, लेकिन याद रखो, हम यहां सिर्फ जीतने के लिए आए हैं। पीछे हटने का सवाल ही नहीं है।"
दुश्मन ने Gazipur में अपनी position को बहुत मजबूत बना रखा था। Tea Plantations की पंक्तियों के बीच Machine Guns और Bunkers लगाए गए थे। Manager’s Bungalow को Fortress की तरह तैयार किया गया था।
3 दिसंबर की रात, 6 Rajput Regiment ने हमला किया, लेकिन दुश्मन के भारी Resistance के कारण उन्हें वापस लौटना पड़ा। अब जिम्मेदारी थी 4/5 Gorkha Rifles की।
4/5 Gorkha Rifles के लिए प्लान तैयार हुआ। हमला रात को किया जाएगा, ताकि दुश्मन को चौंकाया जा सके।
रात का वक्त। जंगल और Tea Plantations के बीच सन्नाटा। लेकिन इस सन्नाटे को तोड़ते हुए, Delta Company "Kela Ka Bagicha" की तरफ बढ़ रही थी। जैसे ही वे Target के करीब पहुंचे, दुश्मन ने Machine Gun और Artillery Fire शुरू कर दिया।
Delta Company के जवान रुके नहीं। वो चिल्लाते हुए आगे बढ़े। Hand-to-Hand Combat शुरू हो गया। कुछ जवान शहीद हुए, लेकिन "Kela Ka Bagicha" पर तिरंगा लहराने में देर नहीं लगी।
"Kela Ka Bagicha" के बाद बारी थी Manager’s Bungalow की। यह दुश्मन की सबसे मजबूत पोजीशन थी। Alpha Company को वहां से हमला करना था, लेकिन रेडियो संपर्क टूट गया।
Major Shyam Kelkar ने तुरंत फैसला लिया। उन्होंने Bravo Company को आदेश दिया कि वे Kela Ka Bagicha की तरफ से हमला करें। Alpha Company ने दूसरी दिशा से हमला किया। दोनों दिशाओं से हुए हमले ने दुश्मन को चौंका दिया।
बंकरों के पीछे छिपे दुश्मन ने Machine Guns से फायरिंग तेज कर दी। Bravo Company आगे बढ़ रही थी, और Major Kelkar जवानों का नेतृत्व कर रहे थे। अचानक, एक गोली Major Kelkar के सिर में लगी। वो जमीन पर गिर पड़े, लेकिन उनकी Company ने हार नहीं मानी।
"Major Saheb ने कहा था, पीछे नहीं हटेंगे। ये Bungalow हमारा है!" Bravo और Alpha Companies ने मिलकर दुश्मन को खत्म किया और Manager’s Bungalow पर कब्जा कर लिया।
इसके बाद Tea Factory की बारी थी। Charlie Company ने इस पर हमला किया और कुछ घंटों की लड़ाई के बाद Gazipur पूरी तरह से भारतीय सेना के कब्जे में आ गया।
Major Shyam Kelkar ने इस लड़ाई में अपने प्राण त्याग दिए, लेकिन उनकी बहादुरी और नेतृत्व ने Gazipur की जीत को संभव बनाया। उनके बलिदान ने 4/5 Gorkha Rifles और Indian Army को एक नई ऊर्जा दी।
Gazipur की लड़ाई ने Sylhet की लड़ाई के लिए रास्ता खोल दिया। यह भारतीय सेना की रणनीति, साहस और बलिदान का अद्भुत उदाहरण है।
आज भी, जब हम Gazipur की लड़ाई की बात करते हैं, तो हमें Major Kelkar और उनके वीर जवानों की याद आती है, जिन्होंने भारत की विजय के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।
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जय हिंद!
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