हाल ही में Jaipur में एक सेना के जवान के साथ हुई घटना ने सभी का ध्यान खींचा। थाने में सेना के जवान की निर्वस्त्र करके पिटाई के मामले में Jaipur पुलिस के सब इंस्पेक्टर सहित चार पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया।
यह कार्रवाई तब हुई जब मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने इस घटना पर कड़ी नाराजगी जाहिर की और पुलिस की कार्यवाही पर सवाल उठाए। Jaipur के पुलिस कमिश्नर ने पुलिस थाने में सेना के जवान से मारपीट के आरोपों की जांच के आदेश दिए। मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने ACP से भी नाराजगी जताई थी।
इस घटना ने एक बार फिर ये सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या पुलिस के पास डिफेंस पर्सनल को गिरफ्तार करने का अधिकार है? और अगर है, तो किन परिस्थितियों में?
Police officers का मुख्य काम society को सुरक्षित बनाना होता है, लेकिन जब खुद सेना के जवान किसी समस्या में शामिल हों, तो क्या पुलिस उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है? ये सवाल कई लोगों के मन में उठता है। इसका जवाब है, "हां" और "नहीं", दोनों। Section 45 of the Indian Criminal Procedure Code (CrPC), 1973 के अनुसार, Civil Police सेना के जवानों या अफसरों (Army, Air Force, और Navy) को, जब वे ड्यूटी पर हों, बिना Central Government की अनुमति के arrest नहीं कर सकती।
लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि पुलिस कभी भी सेना के कर्मियों को गिरफ्तार नहीं कर सकती। इसके लिए कुछ खास protocols और नियम हैं, जिनका पालन करना जरूरी है।
Indian Constitution और Code of Criminal Procedure, 1973 में सेना के कर्मियों को कुछ विशेष अधिकार और सुरक्षा प्रदान की गई है। ये अधिकार उनके Arrest और Prosecution से जुड़े होते हैं। आइए, इन खास प्रावधानों पर नज़र डालते हैं:
Section 45 – Arrest में छूट:
इस Section के तहत, सेना के किसी भी कर्मी को उसकी Official Duty के दौरान या Duty से जुड़ी किसी कार्रवाई के लिए Civil Police द्वारा गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, जब तक कि Central Government की अनुमति न हो। हालांकि, यदि कर्मी किसी अन्य गंभीर अपराध में शामिल हो, तो पुलिस arrest कर सकती है और तुरंत उनके Commanding Officer को सूचित करना होता है।
Section 197(2) – Prosecution से सुरक्षा:
इस Section के अनुसार, कोई भी Prosecution या कानूनी कार्रवाई सेना के कर्मियों के खिलाफ नहीं चलाई जा सकती है, जब तक कि उन्हें Central Government की अनुमति न मिले। यह सुरक्षा उन्हें उनके Official Duty के दौरान प्रदान की जाती है।
Section 475 – Court Martial के लिए डिलीवरी:
इस प्रावधान के तहत, अगर कोई सेना का कर्मी Civil Court में किसी मामले में आरोपी होता है, तो उसे Court Martial में सुनवाई के लिए उसके Commanding Officer को सौंपा जा सकता है। Magistrate को इस Section का पालन करते हुए उस कर्मी को Commanding Officer के पास भेजना होता है।
जब किसी सेना कर्मी पर कोई आरोप लगता है, तो मामला Civil Judiciary और Court Martial के बीच आता है। Court Martial का फैसला अंतिम होता है, और Civil Court के निर्णय पर Court Martial के निर्णय का प्रभाव होता है। Court Martial सेना के नियमों के अनुसार फैसला करता है और Civil Judiciary उसे ध्यान में रखते हुए अपना फैसला सुनाती है।
सामान्यत: Civil Police सेना के जवानों को उनके Official Duties के दौरान arrest नहीं कर सकती। अगर पुलिस को किसी सेना कर्मी के खिलाफ कार्रवाई करनी हो, तो पहले Central Government से अनुमति लेनी होती है। गंभीर मामलों में पुलिस arrest कर सकती है, लेकिन arrest के तुरंत बाद उन्हें नजदीकी सैन्य हेडक्वार्टर को सूचित करना आवश्यक होता है।
यहां तक कि arrest के बाद भी, पुलिस को Station Commander (Major General या उससे ऊपर के रैंक वाले अधिकारी) से अनुमति लेनी होती है। अगर अनुमति नहीं मिलती, तो आरोपी सेना कर्मी को Military Police को सौंप दिया जाता है।
इस प्रकार के नियम और प्रावधान सेना के जवानों को एक संरचना प्रदान करते हैं, जिससे उनकी ड्यूटी और जिम्मेदारियों का पालन हो सके और उनके अधिकार सुरक्षित रह सकें।
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