कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि पिछड़ी जातियों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यकों और अन्य जातियों की सटीक जनसंख्या जानकारी के लिए जाति जनगणना कराई जाएगी। इसके बाद वित्तीय और संस्थागत सर्वेक्षण होंगे और भारत की संपत्ति, नौकरियों और कल्याणकारी योजनाओं का वितरण जनसंख्या के आधार पर होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बयान पर पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस पुनर्वितरण के लिए नागरिकों की निजी संपत्ति छीन लेगी और उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के 2006 के भाषण का हवाला भी दिया।
क्या ये कानूनी रूप से संभव है?
अनुच्छेद 39(b) कहता है कि "राज्य भूमि के स्वामित्व और वितरण के संबंध में ऐसे सिद्धांतों को लागू करेगा जो सामाजिक न्याय और सभी नागरिकों के लिए समान अवसरों को बढ़ावा देंगे।"
इसका मतलब यह है कि सरकार भूमि के स्वामित्व और वितरण को नियंत्रित करने वाले कानून बना सकती है। इन कानूनों का उद्देश्य सामाजिक न्याय और सभी नागरिकों के लिए समान अवसरों को बढ़ावा देना होना चाहिए।
उदाहरण के लिए, सरकार ऐसी कानून बना सकती है जो भूमि के अधिकतम स्वामित्व को सीमित करती है या जो भूमिहीन लोगों को भूमि प्रदान करती है। सरकार भूमि के अधिग्रहण के लिए भी कानून बना सकती है, जैसे कि सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए।
हालांकि, अनुच्छेद 39(b) सरकार को मनमाने ढंग से संपत्ति लेने की अनुमति नहीं देता है। सरकार को केवल उचित मुआवजे का भुगतान करके ही संपत्ति ले सकती है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अनुच्छेद 39(b) एक नीति निर्देशक सिद्धांत है, न कि कानूनी रूप से बाध्यकारी प्रावधान। इसका मतलब यह है कि सरकार को इस सिद्धांत को लागू करने के लिए कानून बनाना होगा।
अनुच्छेद 39(b) की व्याख्या को लेकर कुछ बहस है। कुछ लोगों का मानना है कि यह सरकार को व्यापक शक्तियां देता है, जबकि अन्य का मानना है कि यह अधिक सीमित है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अभी तक अनुच्छेद 39(b) की व्याख्या पर कोई स्पष्ट निर्णय नहीं दिया है।
हाल ही में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक मामला आया जिसमें अनुच्छेद 39(b) की व्याख्या पर बहस हुई थी। इस मामले में, अदालत ने कहा कि अनुच्छेद 39(b) सरकार को "भूमि के स्वामित्व और वितरण के संबंध में ऐसे सिद्धांतों को लागू करने" का अधिकार देता है, लेकिन यह सरकार को "मनमाने ढंग से संपत्ति लेने" की अनुमति नहीं देता है। अदालत ने यह भी कहा कि सरकार को केवल उचित मुआवजे का भुगतान करके ही संपत्ति ले सकती है।
यह मामला अभी भी चल रहा है, इसलिए यह स्पष्ट नहीं है कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय अनुच्छेद 39(b) की व्याख्या कैसे करेगा।
जय हिन्द!